#एनोरेक्सिया खाने से संबंधित एक विकार है जिसमें व्यक्ति अपने वज़न और खाने को लेकर चिंता ग्रस्त हो जाता है.
कम खाने का विकार (एनोरेक्सिया) में वज़न बढ़ने के अनुचित भय के कारण शरीर ख़राब हो जाता है.
आमतौर पर खुद इसका पता लगाया जा सकता है।
इसके लक्षणों में भूखा रहकर या बहुत ज़्यादा व्यायाम के ज़रिए से सामान्य से कम वज़न बनाए रखने की कोशिश करना शामिल है.
अन्य लक्षण हैं-
माहवारी समय पर ना होना
चक्कर आना
नींद नही आना
बेहोशी महसूस होना
वज़न अत्यधिक कम हो जाना
अत्यधिक थकान लगना
कब्ज़ होना
एनोरेक्सिया एक मानसिक अवस्था है। जिसमे व्यक्ति अपने वजन को लेकर बहुत अधिक संजीदा हो जाते है। ऐसे में लोग अत्यधिक डाइटिंग व व्यायाम का सहारा लेते है। ऐसे में व्यक्तियों को लगता है की अगर वो भोजन का सेवन करेंगे तो मोटे हो जाएंगे। जिसके कारण उनका खान-पान का समय गलत हो जाता है।
खानपान में अनियमित एव कम खुराक लेने से उनके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
इलाज
उपचार में थैरेपी शामिल है
सामान्य वजन को बहाल करने के लिए चिकित्सा उपचार की जरूरत हो सकती है. बातचीत द्वारा चिकित्सा आत्मविश्वास बढ़ाने और व्यवहार में परिवर्तन लाने में मदद कर सकती है.
एनोरेक्सिया का इलाज चिकिस्तक विभिन्न तरीको से करते है।
मनोचिकिस्तक एनोरेक्सिया से पीड़ित लोगो का ध्यान केंद्रित करते है। उनके व्यवहार में थेरेपी के द्वारा बदलाव करने की कोशिश करते है। जिससे मरीजों को भोजन खाने की ललक लगे और वह पौष्टिक आहार का सेवन करे।
इसके उपचार में चिकिस्तक कुछ दवाओं की खुराक भी देते है। जिससे मरीज की चिंता व तनाव दूर हो सके।
होमियोपैथी ऐसे शारीरिक एवं मानसिक विकारों हेतु उपयुक्त है, शारीरिक एवं मानसिक लक्षणों को ध्यान रखकर उपयुक्त दवा द्वारा चिकित्सा होने पर विकार पूर्णतः समाप्त हो जाते हैं। #होमियोपैथी चिकित्सा #मानसिकविकारों को बिना किसी अन्य दुष्प्रभाव के ठीक करती है।
अगर वजन में अधिक गिरावट दिखाई देती है तो तुरंत स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती होने की सलाह दी जाती है। जिससे कुपोषण का सही तरीके से इलाज हो सके।
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