कोविड संक्रमण काल में बढ़ रही समस्याओं के बीच लोगों में होमियोपैथी दवाईयों के प्रति उत्सुकता बढ़ी है | सोशल मिडिया में कई तरह की होमियोपैथिक दवाइयां और दावे शेयर किये जा रहे हैं | होमियोपैथी में कई ऐसी औषधि है जो फेफड़े के संक्रमण को कम करके, साँस कि तकलीफ में आराम पहुचाहती है , आक्सीजन का स्तर सुधार सकती है परन्तु यह बात ध्यान रखा जाना चाहिए कि होमियोपैथी दवाइयां एलोपैथिक की तरह रोग विशेष पर आधारित नहीं होती हैं , यह मरीज के लक्षणों पर निर्भर होती हैं और लक्षणों से समानता रखने वाली औषधि ही व्यक्ति विशेष को लाभ पहुचती हैं | “ होमियोपैथी रोग का नही बल्कि रोगी व्यक्ति का इलाज करती है “ |प्राचीन समय से ही महामारी रोगों के समय होमियोपैथी दवाईयों ने लाभ पहुचाया है | महामारी काल में मौजूद प्रमुख लक्षणों के आधार पर कुछ दवाईयों का चयन करके उपयोग किया जाता है | बीमारी से तेज उबरने के लिए सही दवाईयों का चयन, सही डोज, उनका उचित रिपिटिशन अत्यंत आवश्यक है | अतः चिकित्सक की देखरेख में ही दवा का सेवन करें |
हम कुछ
होमियोपैथी औषधि के बारे में जानेंगे जो कोविड मरीजों एवं उनके परिजनों हेतु
लाभदायक है, जो कि लक्षणों के आधार पर चिकित्सक से सलाह लेकर ही उपयोग करनी चाहिए
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1. आर्सेनिक
एल्बम : यह आर्सेनिक तत्व से बनी औषधि है , इसका मरीज
शारीरिक रूप से कमजोर होता है परन्तु शांत नही रहता, घबराहट, बेचैनी, डर आदि
ज्यादा रहता है, थोड़ी थोड़ी देर में पानी की प्यास लगती है | थोड़े काम में ही थक जाता है|
2. एन्टिम
टार्ट : यह एन्टिमोनी, पोटाश लवणों से मिलकर बनती है|
इस का प्रमुख लक्षण है- सीने में घडघड़ाहट के साथ कफ रहना परन्तु बहुत थोडा
बलगम निकलता है , जिससे साँस लेने में
तकलीफ होती है | साँस की तकलीफ लेटने पर बढ़ जाती है जिसके कारण मरीज उठकर बैठ जाता
है |
3. ब्रायोनिया
: यह यूरोप में पाई जाने वाली जंगली औषधि ब्रयोनी से बनती है, यह लंग्स ,
श्वांस्नाली के श्लेष्मिक झिल्ली के सुखेपन को कम करती है | इसका मुख्य लक्षण सुखी
खांसी के साथ छाती में तेज दर्द होना, खांसी के साथ साँस लेने में तकलीफ होना है |
मरीज आत्य्धिक पानी पीता है, शांत लेटा रहना चाहता है , थोडा सा भी हिलने डुलने
में तकलीफ बढ़ जाती है |
4. कार्बोवेज
: यह लकड़ी के कोयले से बनी दवा है, इसमें ओक्सिजन संचय कि प्रचुर शक्ति होती है |
इसका रोगी पंखे कि हवा कि बहुत इच्छा करता है, छाती में कफ रहता है पर दुर्बलता के
कारन निकल नहीं पाता है, रोगी अत्यधिक कमजोरी महसूस करता है, खांसते खांसते दम
घुटने लगता है, शवांस तकलीफ के रोगियों को इसके उपयोग से जल्दी आराम मिल जाता है |
5. फास्फोरस : ब्रांकाइटिस, प्लुराइटीस, न्युमोनिया, तपेदिक आदि में खांसी की प्रमुख दवा है, मरीज को छाती में बोझ महसूस होता है, इसलिए सांस लेने में तकलीफ होती है , रोगी हर साँस के साथ कराहता है, वह खांसी रोके रहता है, क्योंकि खांसने से छाती में दर्द होता है , मरीज बर्फ की तरह ठंडा पानी मांगता है | इसका रोगी शारीरिक रूप से दुर्बल हो जाता है |
6. एस्पिडोस्पेर्मा
: यह दक्षिण अमेरिका, स्पेन में पाया जाने वाला एक वृक्ष ( Quebracho) से तैयार
औषधि है , यह फेफड़े के श्वांस केन्द्रों को उत्तेजित करती है , यह आक्सीकरण में
वृद्धि करती है, परिश्रम करने से श्वांस फूलना इसका मुख्य लक्षण है, ब्लड यूरिया
बढ़ जाने के कारन और हृदय रोगियों के श्वांस तकलीफ में ज्यादा लाभदायक है |
7. कोका : यह पर्वतारोहियों की दवा मानी जाती है , बेचैनी, घबराहट,साँस में तकलीफ और नींद ना आना इसका मुख्य लक्षण है |ऐसे मनुष्य जो शराब और तम्बाखू अधिक सेवनकरते हैं, वह पुरे तौर पे साँस नही ले पाते हैं व हांफते हैं | यह बूढों एवं शराबियों के सांस तकलीफ हेतु उपयुक्त है |
8. जस्टिसिया
एडाटोडा: इसे वैद्य्माता या वशाका के नाम से भी जाना
जाता है , इसका उपयोग आयुर्वेद. होमियोपैथ एवं यूनानी में किया जाता है |
सर्दी-जुकाम, खांसी की प्रत्येक अवस्था में लाभदायक है, मरीज की जीभ सुखी और ठन्डे
पानी की प्यास रहती है| फेफड़ों में दर्द जो छाती के आर-पार जाता है, खांसते समय
शारीर कांपता है , त्रीव श्वान्स कष्ट के साथ सुखा, पीला खून मिश्रित बलगम आता है
| बाई और लेटने में तकलीफ बढ़ जाती है |
9. ब्लाटा
ओरिएंटेलिस : यह कोकरोच से तैयार दवा है , दमा के लिए विशेष
औषधि है, विशेषकर यह फेफड़े के संक्रमण से सम्बंधित श्वांस तकलीफ हेतु उपयुक्त दवा
है | जब तकलीफ ज्यादा रहे तो मदर टिंचर का उपयोग करना चाहिए , स्थिति संभलने पर
अधिक पॉवर का उपयोग करना चाहिए |
होमियोपैथी में और भी कई अच्छी औषधि है जो कोविड लक्षण वाले मरीज हेतु लाभदायक है , सभी का विवरण देना संभव नहीं है, होमियोपैथिक चिकित्सक के सलाह से आप औषधियों का सेवन करें| यह सभी आयुवर्ग, पुरुष, महिलाओ के लिए सुरक्षित है | पोस्ट कोविड समस्याओं हेतु भी होमियोपैथी औषधि अत्यंत लाभदायक है |
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डॉ भूपेंद्र
गुप्ता
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