Jun 5, 2021

आमवात ( URTICARIA / HIVES ) एवं होमियोपैथी समाधान


त्वचा पर खुजली-युक्त ददोरे, चकत्ते , उभरे हुए लाल रंग के रेशेज़ जो खाद्य पदार्थ, दवा, धुल, मौसम में बदलाव, मानसिक उत्तेजना या अन्य उत्तेजक पदार्थों कि प्रतिक्रिया स्वरुप (ALLERGY) उत्पन्न होते है, वे चिकित्सकीय भाषा में URTICARIA एवं बोलचाल में पित्ती उछलना भी कहते हैं |

यह बहुत सामान्य सी बीमारी है, लगभग २०% से ज्यादा लोग जीवनभर में कभी ना कभी एक बार अवश्य इस बीमारी से पीड़ित होते हैं | यह कुछ क्षणों से लेकर लम्बे समय महीनों अथवा वर्षों तक भी रह सकती है |यह कुछ घंटो से लेकर दो या तीन दिन तक रह सकता है उसके पश्चात् स्वमेय समाप्त हो जाता है , परन्तु जब यह बार बार होने लगता है तब स्थिति असहज हो जाती है |

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लक्षण:

त्वचा में खुजलीवाली, उभरी हुई, लाल या त्वचा के रंग की धारियां या चकत्ते हो जाते है | चेहरे, आख, होंठ, हाथ, पैर आदि अन्य अंगो में सुजन हो जाते हैं जिसे ANGIOEDEMA कहा जाता है | यह एलर्जिक रिएक्शन शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकते हैं, एक छोटे धब्बे से लेकर बड़े उभरे तथा एक दुसरे से जुड़े चकत्ते हो सकते हैं | ये कुछ घंटे से लेकर कुछ दिनों तक शरीर पर रह सकते हैं | यह संक्रामक नहीं होता है अतः एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है |

ACUTE URTICARIA: DURATION LESS THAN 6 WEEKS
CHRONIC URTICARIA: DURATION MORE THAN 6 WEEK UPTO SEVERAL MONTH.

कारण:

किसी कीट जैसे मधुमक्खी आदि के काटने से , एलर्जिक पदार्थ को छूने अथवा खाने से , त्वचा पर ज्यादा दवाब पड़ने से जैसे देर तक बैठे रहना, किसी एलर्जिक केमिकल के संपर्क में आने से, ज्यादा खुजली करने से, मौसम परिवर्तन जैसे ज्यादा ठंड, गर्म अथवा नमी वाला मौसम, धूप, धुल, परफ्यूम, धुआं आदि के कारण, ज्यादा मानसिक तनाव, चिडचिडाहट आदि से, कुछ दवाएं जैसे ASPIRIN, IBUPROFEN, CODIN कुछ एंटीबायोटिक आदि के प्रभाव से , आदि कारणों के वजह से एलर्जिक रेशेज़ हो सकते हैं |

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बचाव:

एलर्जिक खाद्य पदार्थों से परहेज करें |
तेज धुप से बचें, उपयुक्त कपडे पहनकर बाहर जाएँ |
मौसम बदलाव के दौरान विशेष सावधानी बरतें, तापमान अनुकूलित रखें |
ज्यादा खुजली करने से बचें, संयम रखे, थोड़ी देर बाद खुजली खुद ख़त्म हो जाती है, ध्यान बटाएं, अन्यथा खुजलाने से परेशानी और बढ़ जाती है |
ढीले कपडे पहने, उपयुक्त किस्म के कपडे पहने, पुराने सीलन अथवा नमी वाले कपडे से परहेज़ करें |
ज्यादा ठंडा अथवा गर्म पानी ना पियें, हल्का गुनगुना पानी पीना श्रेष्ठ है |
समय समय पर खुद को परखते रहें, एवं ऐसे पदार्थ, समय व परिस्थिति की सूची बनायें जब आपकी खुजली शुरू अथवा बढ़ जाती है, ये आपके इलाज एवं मैनेजमेंट के लिए उपयोगी होता है, इसकी जानकारी अपने चिकित्सक को भी देवें |

होमियोपैथी समाधान

होमियोपैथी सभी प्रकार के URTICARIA में निःसंदेह आराम देती है | साथ ही पुराने एलर्जिक रेशेज़ को भी क्रमशः समाप्त करते जाती है और रोग से पूर्ण मुक्त करती है |

होमियोपैथी पद्धति में आपके रोग के लिए आपके लक्षण पे आधारित उपयुक्त दवा का चयन कर सेवन हेतु दी जाती है जो सम्पूर्ण शरीर में कार्य करती है, एलर्जिक लक्षणों को ठीक कर पूर्ण रोग मुक्त करती है |

यह आवश्यक है कि आप चिकित्सक को अपने रोग से सम्बंधित एवं अन्य पूछे जाने वाले सवालों का धैर्य पूर्वक जवाब दें, शायद आपको ऐसा लग सकता है कि पूछे जाने वाले सवाल आपके रोग से कोई ताल्लुक नहीं रखते परन्तु यह जानकारी आपके लिए चयन की जाने वाली दवा के पहचान हेतु आवश्यक होते हैं |

होमियोपैथी में दवाओं कि संख्या बहुत जयादा है, एक ही मर्ज के लिए अधिक संख्या में दवाइयां होती है जिनमे से वही दवा कारगर होगी जिसके लक्षण आपके रोगलक्षण से मेल होते होंगे| नीचे कुछ सामान्य औषधि का वर्णन है जो सिर्फ जानकारी हेतु है, बेहतर परिणाम हेतु चिकित्सक की सलाह से ही औषधि का सेवन करें –

APIS MEL : यह प्रमुख औषधियों में से एक है, चकत्तों में जलन, खुजली एवं काँटों जैसे चुभन इसके प्रमुख लक्षण हैं | सर्दियों में होने वाले चकत्तों के लिए लाभदायक है |

ARSENIC ALBUM: खुजली तथा जलन के साथ बेचैनी हो एवं मरीज को प्यास ज्यादा लगती हो जिसके कारण वह थोड़ी थोड़ी देर में घूँट घूँट पानी पीता है |

RHUSTOX: यदि चकत्तों में त्रीव्र जलन तथ सख्त खुजली हो, त्वचा लाल हो और उस पर सुजन आ गई हो तब यह औषधि लाभदायक है |

DULCAMARA: भीगने, नमी व सीलन अथवा ठंड लग जाने के पश्चात् होने वाले खुजली , रेशेज़ में यह औषधि लाभदायक है |

NATRUM MUR: आमवात के जिन पुराने रोगियों को सख्त कब्ज़ रहता हो, चेहरे कांतिहीन, तथा एनीमिया के लक्षण दिख रहे हों, नमक खाने में अधिक लेता हो, ठंठ से जल्दी प्रभावित होता हो उनके लिए यह औषधि उपयुक्त है |

SULPHUR : रात को बिस्तर में लेटते समय खुजली बढ़ जाती है |

URTICA URENS: चकत्तों के साथ पेशाब ज्यादा होता है, चकत्तों में डंक चुभने जैसा अनुभव होता है, इस औषधि का मदर टिंचर का उपयोग लाभकारी है|

पाकाशय कि गड़बड़ी के कारन उत्पन्न हुए रोग में – PULSETILA, ANTIM CRUD, NUX VOM
ठण्ड लगने के कारन उत्पन्न हुए रोग में – SEPIA, RHUSTOX
धूप लगाने से उत्पन्न हुए रोग में – NATRUM MUR
मानसिक अवसन्नता के कारन उत्पन्न हुए रोग में – IGNATIA, ANACARDIUM
अनिद्रा के कारन हुए रोग में – COFFEA

डॉ. भूपेंद्र गुप्ता
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Dr. Bhupendra Gupta

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Dr. Gupta is a dedicated homoeopathic physician for his duty and has keen interest whatever he do. As a physician he is very kind and take much interest to listening patient empathetically. He uses latest method of selecting appropriate medicine for fast and stable result. You may ask any health related issue in this blog , email , phone call or you can contact Dr. Gupta personally.