HYPERSALIVATION, जिसे सियालोरिया
या पित्त्वाद के रूप में जाना जाता है, इस स्थिति में मुह में लार स्त्राव अधिक
मात्रा में होने लगता है, यह मुह में लार के रूप में भी हो सकता है, निचे के होंठ
पर छलकना जिसे ड्रोलिंग के रूप में भी जाना जाता है |
लार मुह में लार ग्रंथियों द्वारा उत्सर्जित होता
है , यह भोजन को निगलने में मदद करता है, इसमें विभिन्न एंजाइम भी होते हैं जो
पाचन कि विभिन्न प्रक्रियाओं में मदद करते हैं, इसके एंटीबैक्टीरियल गुण बिमारियों
से बचाव भी करते हैं, घावों को भी ठीक करते हैं | लार सूखापन को रोकने और जलन और
विषाक्त पदार्थों के खिलाफ एक बाधा के रूप में कार्य करते हैं |
यह सामन्यत;
गर्भवती महिलाओं में ज्यादा देखने को मिलता हैं जो गर्भ के शुरूआती माह में प्रमुख
रूप से पाया जाता है| अधिक लार स्त्राव HEARTBURN
से सबंधित होता है, मुख्यतः जब आमाशय का अम्लीय पदार्थ आहारनली में ऊपर की ओर
वापस होता हैं तो छाती में जलन और खट्टा वमन होता है जो HEARTBURN कहलाता है |
निम्न स्थिति में लार स्त्राव अधिक हो सकता है :
गर्भावस्था,
GERD (गैस्ट्रिक रेफ्लक्स डिसीज),
PANCRETITIS (अमाशय शोथ),
लीवर डिसीज,
मुख के छाले अथवा संक्रमण आदि |
बहुत ज्यादा लार बात करने और खाने के समस्या के साथ-साथ
फाटे होंठ और त्वचा के संक्रमण की समस्या पैदा कर सकता है| कभी कभी
HYPERSALIVATION या ड्रोलिंग सामाजिक चिंता का भी कारण बन सकता है और आत्मसम्मान
को कम भी कर सकता है |
क्या करें:
·
अल्पमात्रा में भोजन करें, पर थोड़े समय के
अन्तराल में 4 से 5 बार भोजन लें |
·
दो से तीन बार दांतों में ब्रश करें, माउथ वाश का
भी उपयोग कर सकते हैं|
·
इलायची, सौफ, चॉकलेट इत्यादि समय समय में चूसते
रहें |
·
थोड़े समयांतराल में थोडा थोडा पानी पीते रहें |
उपचार:
मुह में आत्य्धिक लार आना एक लक्षण है ना कि
स्वयं में कोई बीमारी है , अत: इसके कारणों का पता लगाकर मूल बीमारी को ठीक करना
अधिक आवश्यक है| इसके लिए आप अपने चिकित्सक से मिलें तथा आवश्यक जाँच के उपरांत
आवश्यक दवाईयों का सेवन करें|
होमियोपैथिक उपचार :
होमियोपैथी पद्धति में मरीज के लक्षण अनुसार
दवाईयों का चयन किया जाता है| आपके चिकित्सक आपसे केस टेकिंग के दौरान विभिन्न
सवालो द्वारा आपके लक्षणों का अवलोकन करते हैं, जिसके पश्चात् उपयुक्त दवा का
परामर्श दिया जाता है| दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए दवाईयों का सेवन करे|
नीचे कुछ दवाईयों का विवरण दिया जा रहा है जो
पुर्णतः जानकारी हेतु है, इसे बिना चिकित्सक के सलाह के उपयोग ना करें :
HEPAR SULPH: मरीज को ठण्ड जल्दी
लग जाती है, मसुढे एवं तालू छूने से दर्द करते हैं, लार अधिक बनता है| निगलते समय
ऐसा लगता है मानों गले में कुछ फंसा हुआ हो | मरीज को तेज और तीखे गंध वाली ड्रिंक
पसंद होती है |
MERCURIUS: दांत ढीले होते हैं,
मसुढे गुलाबी एवं सूजे हुए होते हैं | जीभ फूली हुई और अक्सर छाले बार बार होते
रहते हैं | मरीज को पायरिया कि शिकायत भी रह सकती है | मुह का स्वाद नमकीन अथवा
कड़वा होता है | अक्सर हरा, पित्तायुक्त वमन होती रहती है |
IRIS: मुह और जीभ जली हुई महसूस
होती है | गले में जलन और चुभन होती रहती है | आहार नली के हिस्से में जलन इसका
प्रमुख लक्षण है | खट्टा वमन , उलटी जैसा महसूस होना, सर दर्द रहना इत्यादि |
IODUM: मुह से सडन जैसी बदबू ज्यदा
आती है, मसूढ़ों से रक्तस्त्राव होता है, जीभ में मैल जमा रहता है, लार का स्त्राव
आत्यधिक मात्रा में होता है | इन मरीजो में थायराइड ग्रंथि में सूजन भी रह सकती है
|
TRIFOLIUM: लार बहुत अधिक मात्रा
में बनता है, ऐसा प्रतीत होता है जैसे मुह लार से भरा हुआ हो, लार ग्रंथियों में
संक्रमण, ऐसा लगना जैसे लार ग्रंथि में सुजन हो| आवाज़ भारी हो जाती है, गले में
संक्रमण रहता है |
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